भोजपुरी कविता – तड़पत रही हम दिनरात |

भोजपुरी कविता – तड़पत रही हम दिनरात |
रिमझिम बरसत बा बरसात |
तड़पत रही हम दिनरात |
पिया बिना बुनीया ना सुहात |
तड़पत रही हम दिनरात |
गरजत बरसत अईले असढ़वा |
लहकत दहकत हमरो जियवरवा |
कही हम केकेरा से दिलवा के बात |
तड़पत रही हम दिनरात |
चमके बिजुरिया गगनवा मे |
अगिया लगे हमरे तनवा मे |
पिया परदेशी हाली घरवों ना आत |
तड़पत रही हम दिनरात |
झमझम अंगना बरसेला पानी |
टपटप चुएला टूटल दलानी |
निर्मोही बलम दरदियो ना बुझात |
तड़पत रही हम दिनरात |
मखमल के सेजिया मे कंटवा गड़ेला |
बरिस बरिस के पोसल देहीया गलेला |
भिंगल भुईया मोर पउया बिछलात |
तड़पत रही हम दिनरात |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286

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