Categories: ग़ज़ल
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
सच्ची दोस्ती सच्चा प्यार(भाग-१)
अनिता नाम था। देखने में साँवली सलोनी। उसकी आँखें किसी गहड़ी झील से कम नहीं था। उसकी मुस्कान व अदा का क्या नाम दें, मेरे…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
अति भावपूर्ण रचना है
हमेशा की तरह इस बार भी मेरी रचना को स्तरीय समझे इसके लिए आपको धन्यवाद।
भाव बहुत अच्छे हैं। लेकिन व्याकरण की दृष्टि से अशुद्धियाँ हैं।
जैसे-
‘सभी उम्मीदें पल में ही टूट गया’
हिंदी की दृष्टि से यह वाक्य गलत है।
सही वाक्य है-
‘सभी उम्मीदें पल में ही टूट गईं’
बुरा मत मानना लेकिन साहित्यिक मंच में हिंदी की शुद्धता का ख्याल जरूर रखा जाना चाहिए।
मैने पंक्तियों के तालमेल से ही ग़ज़ल को पिरोया है। मै मीर, लखनवी, फिराक व अन्य साहित्कारों के शेर व ग़ज़ल को अवलोकन भी किया हूँ। जिस तरह से वे सभी महान शायर अपनी रचना को अंजाम दिए है इससे मैने यह पाया है कि गीत व ग़ज़ल में व्याकरण सौ प्रतिशत मे से दस प्रतिशत ही मान्य रहता है।
Nice