मर्यादा
मनमौजी बनकर चलना
ये कैसी आजादी है।
बिन मर्यादा के जीना
जीवन की बर्बादी है।।
अनुशासन न कोई बंधन है
न तुम पर कोई थोप रहा।
एक सफलता की कुंजी है
सुख सम्पदा सौंप रहा।।
विनयचंद मर्यादित रह
नर हो अथवा कोई नारी।
गुरु शिष्य और पुत्र पिता
सुख पावे नित चारी।।
Nice
धन्यवाद
Sahi kha
धन्यवाद
Shi kaha
धन्यवाद
Nyc
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