महात्मा गाँधी
हर साल मेरी पुस्तक (हिंदी)मे,
पाठ महात्मा गाँधी का होता है,
बापू का व्यक्तित्व याद है पर,
असल जिंदगी मे कोई असर नहीं इसका होता आता है |
बापू फिर से आकर,
देश बचा लो, क्रांति बिगुल बजाकर |
तुमने जो जलाया उम्मीद का दीया,
मशाल वो बन गया था |
दुगने लगाना के आगे तब,
हर किसान तन गया था |
भुखमरी, महामारी से अंग्रेजो को क्या लेना था,
अकाल पड़ कर देश शमशान बन गया था |
लाठियोंऔर गोलियों के प्रहार से,
देश का कोना कोना खून मे सन गया था |
राष्ट्रपिता तुम हमारे, साबरमती के हो संत,
तुम्हारी एक आवाज पे देशवासी खड़े हो गए अनंत,
दांडी मार्च करके, किया नमक कानून का अंत,
चरखे की तरहा घुमा दीया सरकार को,
मिलाकर मिटटी मे किया उसका अंत |
आज का हाल देश का देखो,
100 का नोट 1000 मे बदला, 200 का दो हजार मे,
देखो बापू, भ्रष्टाचारी लूट खा गए,
देश को बेच दीया स्विस बाजार में |
सब भूल गए तेरे बलिदान बेशरम बनके,
अब तो बक्सों में बंद होकर रह गए,
गाँधी काला धन बनके |
बापू फिर से आकर,
देश बचा लो, क्रांति बिगुल बजाकर |
Mahatma Gandhi ki jai
Bahut khub
Nice
वाह
Wah