माँ
माँ का प्यार है बड़ा निराला
मिले उसे जो किस्मत वाला
माँ ममता करुणामय सागर
धन्य हुआ जग तुझको पाकर
वेद पुराणों की गाथा में
तुझे मैं देखूं गौ माता में
गंगा में भी तेरा प्यार
बहती रहती अमृतधार
माँ के धैर्य की थाह नहीं
कष्ट सहे पर आह नहीं
कष्टों से तू हमें बचाए
जब अपना आँचल लहराए
आंखों में है स्नेह पताका
संजीवनी स्पर्श माँ का
मृतक में भी डाले जान
ऐसे हैं लाखों गुण गान
शब्दों की बन्दिश ना होती
करके भावों की अभिव्यक्ति
माँ पर लिख दूं ग्रंथ हजार
अफसोस, कम पड़ जाएगा शब्द संसार
माँ पर लिखी बहुत सुन्दर रचना, सच है माँ पर जितना भी लिखा जाए उतना कम है
आभार गीता जी
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
*मां*ममता करुणामय सागर
धन्य हुआ जग तुझको पाकर….🙏
आपका आभार
आपका स्वागत है
Good