Categories: मुक्तक
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क्या लिखूँ ?
दिन–रात लिखूँ हर बात लिखूँ दिल के राज़ लिखूँ मन के साज़ लिखूँ। अपने वो दिन बेनाम लिखूँ लेकिन नहीं हुआ बदनाम लिखूँ कितना…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
क्या लिखूँ…!!
आज सोंचती हूँ क्या लिखूं दर्द लिखूं या मोहब्बत का उन्माद लिखूं चैन लिखूं या बेचैनी लिखूं तेरे इश्क में फना होने का अफसाना लिखूं…
सोचा था जो वो पुरा ना हो सका
सोचा था जो वो पुरा ना हो सका बदलते हालात को देख मैं अपना ना हो सका आंखों के आंसूओं को मैं अपने पोंछ ना…
तुम पर एक ग़ज़ल लिखूं
तुम्हें गुलाब लिखूं या फिर कंवल लिखूं। जी चाहता है तुझ पर एक ग़ज़ल लिखूं। गुल लिखूं, गुलफ़ाम या लिखूं गुलिस्तां, या फिर तुम्हें महकता…
Nice
Thanks
वाह बहुत सुंदर
धन्यवाद
Nice
Thank you
Thanks
👌
Thanks