Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
इन्सान और जानवर (भाग – २)
(आपने भाग १ में पढ़ा – वीराने में कलूआ की मुलाकात एक अदभुत गिद्ध से होता है। वह मनुष्य की भाषा में बात करता है।…
कविता- इंसान मे जानवर
कविता- इंसान मे जानवर हाथी एक जानवर मगर इंसान की इंसानियत ढोता रहा | थके मांदे एक शेर के बच्चे को अपनी सुंढ मे ढोता…
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आँख का जल एक है, मानव की पहचान,
अगर न हो संवेदना, फिर कैसा इंसान।
_________ संवेदनशीलता ही मनुष्य का महत्वपूर्ण गुण है, इसी सत्य को परिलक्षित करती हुई कवि सतीश जी की छंद शैली में एक बेहतरीन रचना, अति उत्तम लेखन
बहुत बहुत धन्यवाद
इस लाजवाब समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद, अभिवादन
बहुत खूब, अति उत्तम
बहुत बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर
सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर