मित्र अपना कह दिया
आपने जब हमें
मित्र अपना कह दिया
यकीन मानिए,
जलवा हमारा बढ़ गया।
अब ये माथा आपका
झुकने न देंगे हम कभी
आपको सिर-माथ पर
हमने सजा कर रख लिया।
आपने जब हमें
मित्र अपना कह दिया
यकीन मानिए,
जलवा हमारा बढ़ गया।
अब ये माथा आपका
झुकने न देंगे हम कभी
आपको सिर-माथ पर
हमने सजा कर रख लिया।
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सुन्दर
धन्यवाद जी
बहुत खूब
Thank you
वाह सर, मित्र की शान में इतनी सुन्दर और अनूठी रचना…
कवि श्रेष्ठ की श्रेष्ठ लेखनी…लेखनी को मेरा प्रणाम है सतीश जी ..।
इतनी सुंदर समीक्षा, प्रेरणा और उत्साहवर्धन हेतु सादर अभिवादन। धन्यवाद शब्द आपकी टिप्पणी के सामने कुछ भी नहीं है। प्रणाम
वाह वाह क्या बात है
बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी
बहुत सुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद जी
वाह पाण्डेय जी
Thank you
अतिसुन्दर
Dhanyawad
सादर धन्यवाद