मुक्तक

धड़ाधड़ अंधाधुन हो रहा पेड़ों की कटाई,
मूक बाधिर बने रहे तनिक लाज नहीं आई,
सूलग रहा आरे आज राजनीति के करतुतो से,
पर्यावरण प्रेमी को दबोच रहें हैं आरे कालोनी से,

महेश गुप्ता जौनपुरी

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