Categories: मुक्तक
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किरदार कितने है
किरदार कितने है हर कोई पहनता एक वेशभूषा एक नए वार्ता के साथ नई जिम्मेदारियां हर रोज़ पर अब भी सवाल इतने है की किरदार…
रंगमंच
दुनियाॅं के रंगमंच पर, हम सभी आते हैं अपना-अपना किरदार निभाने, किरदार निभाते-निभाते भूल ही जाते हैं.. कि एक दिन इस रंगमंच से, जाना है…
किरदार
खुद की भावनाओं से रिश्ता टूटता रहा, एक नया किरदार अंदर ही अंदर बनता रहा। रिश्तों से रिश्तों तक का सफर तय होता रहा, एक…
रंगमंच
दुनिया के रंगमंच में कुछ किरदार ऐसे होते हैं जो कभी किसी का ध्यान आकर्षित नही कर पाते… मगर उनके बिना अधूरी है कहानी की…
आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं पाँव हमेशा जमीं पे टी’काके रखता हूँ ।।
जिंम्मेदारियों का बोझ मैं उठा’के रखता हूँ मेले में बेटे को काँधे पे बिठा’के रखता हूँ ।। आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं…
Nice
👌👌
वाह