Categories: शेर-ओ-शायरी
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दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
रोज़ होती रही तेरे वादों की बरसात
रोज़ होती रही तेरे वादों की बरसात कमाल ये के कभी हम भीग नहीं पाएं तंगदिल है मेरा या तेरा सिलसिला क़ाफ़िर न तुम समझे…
कहीं भीड़ में खो गई है मुहोब्बत
कहीं भीड़ में खो गई है मुहोब्बत पहले है रोटी फिर है मुहोब्बत। जरा पास आओ, हमें कुछ है कहना। नहीं ठीक ऐसे सभी से…
मैं समझ नहीं पाता
मैं समझ नहीं पाता अपने ही देश में देशद्रोहिता के रहस्य मैं समझ नहीं पाता अपने ही देश में असहिष्णुता के मायने मैं समझ नहीं…
वाह👌👌
Waaah…
कवि सतीश जी के द्वारा लिखी गई बहुत ही सुन्दर काव्य रचना है ।
लाजवाब लेखन
बहुत खूब पाण्डेय जी, क्या बात है
बहुत ही सुंदर कविता
Waah waah, bahut khoob
सुंदर