मेरी कलम

मैनें लिखना छोड़ दिया है,
कलम को मैनें तोड़ दिया है
कलम रो-रो के पूछ रही है….
क्यूं ये ऐसा मोड़ लिया है,
क्या कहूं कलम से अब मैं..
तूने तो कुछ भी नहीं किया है
अंधी रेस में ,तू ना दौड़
करना ना बेमतलब होड़
सौन्दर्य को पीछे ना छोड़ना
काव्य-कला को कभी ना तोड़ना…

*****गीता*****

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Responses

    1. भाव को समझने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर…
      कविता की समीक्षा एवम् सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद 🙏

  1. Great poem, आपकी कलम बहुत जबरदस्त है वह टूट नहीं सकती बल्कि नए कलेवर कविताएं बिखेरेगी।

    1. सराहना के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ईशा जी आपने मेरी कलम के लिए इतना सुंदर लिखा है कि मैं तो भाव विभोर सी हो गई हूं।
      आपकी आशाओं पर अवश्य ही खरी उतारने का प्रयास करूंगी । आपने मुझे बहुत सुकून दिया है आपका हृदय तल से आभार ।

  2. आपकी कलम में जबरदस्त ताकत है वह न रुक सकती है न टूट सकती है।

    1. आपका सादर आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद सर🙏
      मेरी कलम के सम्मान के लिए “धन्यवाद “शब्द बहुत ही छोटा पड़ रहा है सर । बहुत बहुत आभार ।

  3. कुछ लोग आगे रहने और पवाइंट्स हासिल करने के लिए एक मिनट में 4 कविताओं पर कमेंट कर रहे हैं। जो कि अनैतिक है। ऐसे लोगों को देख किसी ने अपना दिल छोटा नहीं करना चाहिए

    1. मेरा इतना अधिक साथ देने के लिए आपका दिल की गहराइयों से बहुत बहुत धन्यवाद इंद्रा जी। वैसे आज के साथ के लिए ये “धन्यवाद्” शब्द बहुत ही छोटा प्रतीत हो रहा है। आप जैसे दोस्त हों तो मुझे सच में दिल छोटा करने की आवश्यकता नहीं है। आपने मेरा बहुत सम्मान बढ़ाया है इंद्रा जी । आभार कह कर दोस्ती को कम नहीं करना चाहूंगी🙂

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