मेरे आने का मकसद
सबने ज़िन्दगी का फल्स्फा समझाया
पानी है बस शोहरत और दौलत
यह है बस मेरे आने का मकसद
इसी को पाने से मिलेगा सब आराम
किया सब जो भी सबने कहां
करके भी सब जां ना चैन मिला मन को
ल्गा यह तो सबसे बड़ा हो गया है लोचा
भटके हुए मुसाफिरों ने भटका दिया मुझे भी
तब जां के यह बात समझ में आयी
के यह है सब भटके हुए ख़ुद ही अपनी राहो में
मुझे क्या राह् दिखाए यह ख़ुद भटके हुए मूसाफिर
जैसे यह तुझको भूल गए हैं
मुझको भी भुलायेंगी
तेरी राह् तो ख़ुद जान ना पाए
मुझको भी यह छुड़ा जाएँगे
तब जां मैनी अपनी राह् बुनी
फिर ना मैंने किसी की कुछ सुनी
तूने भी सच में क्या साथ दिया
मेरी ख़ुद की ख़ुद का साथ दिया
आगे बड़ अपना हाथ थमा दिया
अब यू तुझको मैनी पाया है
फिर ना दिल मेरा गभराया है
….. यूई
laazbaab sir
वाह वाह बहुत सुंदर
Beautiful thought