मेहनतकश की जिन्दगी

वो दिन भर
मेहनत करते हैं,
रात को सड़कों पर
शयन करते हैं।
ऊपर से पाला पड़ता है,
नीचे से शीत लगती है,
मेहनतकश की जिंदगी,
कठिन गीत लिखती है।
सपने में गुनगुनाता है,
रोकर मुस्कुराता है,
पैर खुले रख मुंह ढकता है
मुँह खुला रख पैर छुपाता है,
मच्छर गीत सुनाता है,
मच्छर के चक्कर में
खुद के कान में चपत लगाता है,
मच्छर के चुभाए शूल में भी
मेहनत की नींद सोते हैं।
कभी हँसते कभी रोते हैं,
थकान की नींद सोते हैं।

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Responses

  1. मेहनत कश की जिंदगी पर बहुत ही यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया है आपने, उत्तम अभिव्यक्ति

  2. मेहनत मजदूरी करने वालो पर
    बहुत सुंदर कविता
    यथार्थ चित्रण

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