मैं ख़्वाब में नहीं
तुम्हारे सुर्ख लबो में वो कशिश है,
जो किसी शराब में नहीं।
तुम्हारे तन कि वो मदहोश खुशबू है,
जो किसी गुलाब में नहीं।
तुम्हारे आगोश में वो जादू है,
जो किसी भी शबाब में नहीं।
तुम मेरी हो यही हकीकत है,
जमाने से कह दो मैं ख़्वाब में नहीं।
मेरी मोहब्बत में वो ज़लज़ला है।
जो दरिया के सैलाब में नहीं।
तुम्हारी ज़ुदाई में वो तकलीफ है।
जो किसी अज़ाब में नहीं।
देवेश साखरे ‘देव’
खूब कहा
धन्यवाद
Nice
Thanks
Sundar
धन्यवाद
,😀
Thanks
वाह बहुत सुंदर रचना ढेरों बधाइयां
Thank you