मैं हारूँगा नहीं
थक चूका हूँ , पर हारा नहीं हूँ
मैं निरंतर चलता रहूँगा
आगे बढ़ता रहूँगा
उदास हूँ ,मायूस हूँ
पर मुझे जितना भी आज़मा लो ,
मैं टूटूँगा नहीं ,
मैं निरंतर कोशिश करता रहूंगा,
पर अपनी तक़दीर को, तक़दीर के
हवाले सौंप , हाथ बाँध
बैठूंगा नहीं ,
मैं निरंतर कोशिश करता रहूंगा ,
अपनी तक़दीर को कोसूंगा नहीं
आगे बढ़ता रहूँगा।
मैं और उठूँगा,
जितना तुम मुझे गिराने की कोशिश करोगे,
मुझे शायद आज इस हाल में देख,
तुम अपनी पीठ ठोकोगे ,
पर मुझे जितना भी आज़मा लो,
मैं हारूँगा नहीं
मैं निरंतर कोशिश करता रहूंगा,
अपनी तक़दीर को कोसूंगा नहीं
आगे बढ़ता रहूँगा।
तुम उस पल से बचना
जब गूँजेगा मेरा नाम हवाओं में ,
हर तरफ चर्चा होगा मेरा
शोहरत की किताबों में ,
और मैं शुक्रिया कर रहा हूँगा,
उन “अपनों” का जिन्होंने मुझे
बेसहारा कर दिया था कभी
मेरी तक़दीर के हवाले मुझे छोड़ दिया था कभी,
फिर समझ पाउँगा उन सब का यूँ चले जाना
समझ पाउँगा
के क्यों निरंतर चलता रहा मैं
बिना रुके, बिना झुके
शायद आज इस मक़ाम पे आने के लिए
जिस चोट से मैं पत्थर बना
उसे तराश कर हीरा बनाने के लिए
मैं निरंतर चलता रहूँगा
आगे बढ़ता रहूँगा
आगे बढ़ता रहूँगा…..
सुंदर रचना
dhanyawad apka bahut bahut meri rachna ko sarahne k liye
Good one
Thank you
वाह
shukriya es tareef k liye
Nice one
Beautiful lines
Thank you
वाह
zehnaseebi
Nice
Thank u
Good
Nice