मोर नजर

तै कहूँ जा
मोर आँखि के आघू म रैबे
भले तोला लागहि कोनो नई देखत हे
पर तय का जानिबे
मोर नजरे नजर म झूलत रथस
कभू मोर पीठ म छुरा झन घोपबे
प्रेम म कैबे त अपन जीव दे दह
अउ सीना जोरी करबे त
जी ले लह
काबर कि
तै मोर आँखि के आघू म हस
सबे दिन मोर नजर म हस

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