यौवन में है बरसात
समझा रही हूँ बात
तुम अब भी नहीं समझे,
यौवन में है बरसात
तुम अब भी नहीं समझे।
चाहत भरी आंखों को तुम
अब भी नहीं समझे,
नहीं सो पाई पूरी रात
तुम अब भी नहीं समझे।
देखती हूँ तुम्हारे ख्वाब
तुम अब भी नहीं समझे,
चाहती हूं तुम्हारा साथ
तुम अब भी नहीं समझे।
भीगा हुआ है गात
तुम अब भी नहीं समझे
यौवन में है बरसात
तुम अब भी नहीं समझे।
——- डॉ0 सतीश पाण्डेय
चम्पावत
Waah
धन्यवाद
nice
धन्यवाद जी
बहुत ही उम्दा
धन्यवाद जी
सुंदर रचना
धन्यवाद जी
Nice lines
धन्यवाद जी
Bahut Khoob
Thanks
Atisunder
Thanks ji
अति सुंदर
Thanks
Very nice
Thanks