रात भर
झील के आगोश में कल चाँद फिर ढ़लता रहा।
एक सितारा चाँदनी में रात भर जलता रहा।
रात भर इक शक़्ल मेरी आँख में पलती रही,
रात भर अंगड़ाइयों का दौर फिर चलता रहा।
हसरतों की आग में फिर ख़ाक़ इक लड़की हुई,
रात भर कल जुगनुओं में ज़िक्र ये चलता रहा।
हम लकीरों में तुम्हें ढूँढा किये कल रात भर,
रात भर दीवानगी का दौर ये चलता रहा।
ये उदासी की चुभन और दूरियों का दर्द ये,
अश्क बनकर रात भर ये आँख में पलता रहा।
अनु..✍️
ये उदासी की चुभन और दूरियों का दर्द ये,
अश्क बनकर रात भर ये आँख में पलता रहा।…
……….उदास हृदय की व्यथा व्यक्त करती हुई कवियित्री अनु अनुवाद जी की अति सुंदर ग़ज़ल….बेहतरीन रचना
शुक्रिया सखि
बहुत खूब
बहुत सुंदर रचना
भावपूर्ण अभिव्यक्ति