राहुल और सिमरन का वार्तालाप
राहुल बोला..
यह कोरोना कहाँ की बीमारी आई है,
इसने कैसी आफत मचाई है।
इन्सान, इन्सान से डरने लगा,
अदृश्य जीवों से मरने लगा।
बस घर में ही पड़े रहो,
चलाते रहो मोबाइल।
ना कहीं आने के रहे,
ना कहीं जाने कि रहे।
ढीली हुई है पेंट भी
निकल-निकल भगती है।
कमजोर किया है कोरोना ने इतना,
अब तो हर चोट दिल पर लगती है।
फ़ेफ़ड़ों ने भी दे दिया जवाब है,
यकीन मानो यह बीमारी बड़ी खराब है।
फिर राहुल ने देखा..
बिना मास्क के ही,
सिमरन जा रही थी।
राहुल ने पूछा सुन जरा,
मास्क कहाँ है बता तेरा।
क्रोध में झिड़क गई सिमरन,
राहुल को हुई बहुत उलझन।
अब राहुल सोच रहा है,
ऐसा क्या बोल दिया मैंने,
जो यूँ झिड़क गई सिमरन॥
______✍गीता
इंसान , इंसान से डरने लगा
अदृश्य जीवो से मरने लगा ।यथार्थ चित्रण
हार्दिक आभार एकता जी
यह कोरोना कहाँ की बीमारी आई है,
इसने कैसी आफत मचाई है।
इन्सान, इन्सान से डरने लगा,
अदृश्य जीवों से मरने लगा।
—– इन पंक्तियों ने बहुत ही सच्ची अभिव्यक्ति की है। आज मनुष्य असहाय है। लाजवाब रचना
उत्साहवर्धन करती हुई इस सुंदर समीक्षा हेतु, बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी, हार्दिक आभार ।
अतिसुंदर भाव