Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कविता :आओ जियें जिन्दगी ,बन्दगी के लिए
पता नहीं किस बात पर इतराता है आदमी कब समझेगा अर्थ ढाई आखर का आदमी भूल बैठा है आज वो निज कर्तव्य को खून क्यों…
आदमी का आदमी होना बड़ा दुश्वार है
सत्य का पालन करना श्रेयकर है। घमंडी होना, गुस्सा करना, दूसरे को नीचा दिखाना , ईर्ष्या करना आदि को निंदनीय माना गया है। जबकि चापलूसी…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
वाह
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही लाजवाब
धन्यवाद जी
अत्यधिक सुन्दर
Thanks ji
Bahut khoob
Thanks
Sunder
सादर धन्यवाद जी
Very nice n true also
बहुत बहुत धन्यवाद