वक्त के रंग
वक्त कब क्या रंग दिखाए हम नहीं जानते
वक्त के दिए हुए जख्म कैसे मिटाएं हम नहीं जानते
क्या पता था उस देवकी को,
जिस डोली में बिठाकर ,विदा कर रहे थे कंस
याकायाक उसे कारावास ना भेजतें
वक्त कब क्या रंग दिखाए हम नहीं जानते
क्या पता था उस राम को ,
जिसे रात में राज्य मिलने वाला था ,
उन्हे सुबह बनवास ना भेजतें
वक्त कब क्या रंग दिखाए हम नहीं जानते
क्यों रौब झाड़ते फिर रहे अपनी कमाई दौलत शोहरत पर
कुछ अपनी ऐसी छवि बनाए ,
ताकि लोग भी मजबूर हो जाए
आंसू बहाने के लिए हमारी भी मय्यत पर
सुना है मैंने , अच्छे लोगों को लोग नहीं भूलते
Nice
धन्यवाद
कविता में दम है। सच्चाई पुरी तरह व्यक्त करती है।
आपका सादर अभिनन्दन
आगे भी ऐसे ही कविताएं लिखते रहें
उत्साहवर्धक समीक्षा के हेतु धन्यवाद
Beautiful
अतिसुंदर रचना
very niche👌🏻👌🏻
very nice👌🏻👌🏻
कुछ अपनी ऐसी छवि बनाए ,
ताकि लोग भी मजबूर हो जाए
आंसू बहाने के लिए हमारी भी मय्यत पर
सुना है मैंने , अच्छे लोगों को लोग नहीं भूलते
बहुत सुंदर