विनती
हे घनश्याम गोपाल मुरारी।
मेरी सुधि लो गिरिवरधारी।।
दीनबंधु करुणा के सागर।
भगतबच्छल प्रभु आरतहर।।
जगतपति जगतारनहारी,
मेरी सुधि लो गिरिवरधारी।।
तेरी कृपा बरस रही निश-दिन।
बाहर-भीतर किनमिन किनमिन।।
दो बूंद का चातक ‘विनयबिहारी’,
मेरी सुधि लो गिरिवरधारी ।।
Shri Krishna Govind hare Murari hai naath Narayan Vasudev
सुत पितु बन्धु सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेव
बहुत सुन्दर
धन्यवाद
राधे राधे
जय श्री राधे
Jai radha krishna
Good
Good
वाह बहुत सुंदर
वाह