वो मां ही तो है।

जब तुम उदास हो,
कोई भी ना पास हो,
तब जो सहारा देती है ,
सब दुख बाट लेती है,
वो मां ही तो है।
बिस्तर गीला किया मैंने,
वह सो गई गीले में ,
मुझे छाती पर सुलाया।
खुद भूखी रहकर,
मुझे निवाला खिलाया।
चिंता मेरी जिसे हरदम रहती है,
वो मां ही तो है।

मैं जब- जब घिरा ;मुसीबतों से ,
जमाने ने  केवल रुसवा ही किया,
मगर शीतलता जिसके आंचल में मिली ,
वो मां ही तो है।

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Responses

  1. जब तू उदास हो, भले कोई ना पास हो, जो सदैव साथ दे
    वो माँ होती है।
    आदरणीया प्रज्ञा जी की रचना की दो पंक्तियाँ आपको समर्पित करता हूँ।
    👌

    1. हां सर! पढ़ा मैंने भी, बहुत अच्छा लिखा है उन्होंने, सबकुछ अलग है किंतु अंतिम दो पंक्तियां सच में मिल रही है ।शायद ये भाव स्वाभाविक है, इसलिए!

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