शायरी

आज के इस दौर में
उल्फत के हर रस्म झूठे लगते हैं।
अपने घर में भी सभी
एक दूजे से रूठे-रूठे लगते हैं। ।

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अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

कुछ लोग………..

बहुत शराफत से पेश आये कुछ लोग हमारे जनाजे पर आये कुछ लोग आखरी रस्म की कदर करी उन सब ने हमें कांधा देने आये…

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