शायरी

पर्वत से निकली खिल-खिल गंगा
सागर में जाकर शांत हो गई।
जान गई जंजाल में तो
उड़ती चिड़ियाँ भी शांत हो गई।।

Related Articles

अमरकंठ से निकली रेवा

अमरकंठ से निकली रेवा अमृत्व का वरदान लीए। वादियां सब गूँज उठी और वृक्ष खड़े प्रणाम कीए। तवा,गंजाल,कुण्डी,चोरल और मान,हटनी को साथ लीए। अमरकंठ से…

गंगा

कहने को है अमृत की धारा, कूड़े से पटा हुआ उसका जल सारा । पाप धुलने का मार्ग बन गई गंगा, हर किसी के स्पर्श…

Responses

+

New Report

Close