Categories: शेर-ओ-शायरी
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अमरकंठ से निकली रेवा
अमरकंठ से निकली रेवा अमृत्व का वरदान लीए। वादियां सब गूँज उठी और वृक्ष खड़े प्रणाम कीए। तवा,गंजाल,कुण्डी,चोरल और मान,हटनी को साथ लीए। अमरकंठ से…
कविता : पतित पावनी गंगा मैया
देवी देवता करते हैं गंगा का गुणगान इसके घाटों पर बसे हैं ,सारे पावन धाम गंगा गरिमा देश की ,शिव जी का वरदान गोमुख से…
विकास के भरोसे
विकास के भरोसे कब तक रोटी सेंकोगें मैली मैली गंगा मईया कब तक तुम बोलोगे राजनीति के पहिए का वीरों तुम इलाज करो गंगा के…
गंगा
कहने को है अमृत की धारा, कूड़े से पटा हुआ उसका जल सारा । पाप धुलने का मार्ग बन गई गंगा, हर किसी के स्पर्श…
गंगा बहती है जहाँ
गंगा बहती है जहाँ *************** रीषिमुनियो की तपोभूमि बसती हैं वहाँ सबसे पावन भूमि है मेरी गंगा बहती है जहाँ ।। हरदिन से जुड़ी एक…
वाह बहुत सुंदर
Thank u
Good
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