शायरी

सितम गैरों की बस्ती में सही
मेरा भी नाम हो जाए
मेरी नींदें छीन कर
चैन से सोने वाली
आज की रात
तेरी नींद भी हराम हो जाए
वीरेंद्र

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शायरी

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ग़ैरों की बस्ती में , अपना भी एक घर होता

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