सफ़र
सफ़र
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बंदिशो के आँगन में बुलन्दियो के आसमान तक
यह सफ़र है, तेरी बेचैनी से,तेरी पहचान तक
कहाँ थमी है,तेरी चुनौतियों की कंटीली डगर
मंजिल तो पाना है ही,चाहे जितना लम्बा हो सफ़र
सौन्दर्य,मातृत्व व बुद्धि के बल,खुद को साबित करना है
तप,त्याग,महानता की ही नहीं,
सफलता की गौरवगाथा बनना है
खुद को साबित कर,जाना है आसमान तक—–
सुमन आर्या
बहुत खूब
2 बार
पैनी नज़र से देखने के लिए धन्यवाद ।
भूलवश दो बार ।
कोई बात नहीं सबसे हो जाता है
भूल तो सबसे होती है ना उससे भी हो जाती है बस मैंने सूचित कर दिया
Nice