सुकून
सुकून!!
तू मेरे पास कब होता है,
तुझे ही मालूम है,
या मुझे ही पता है,
यही तो तेरी अदा है,
जब मैं कर्तव्य पथ पर
रमा होता हूँ,
तब तू मेरे पास होता है।
निःसहाय की मदद के समय
परोपकार की भावना के समय
सच्चाई की चाह के समय
सुकून तू मेरे पास होता है।
दायित्व निभाते समय,
गिर पड़े को उठाते समय
रूठे को मनाते समय
स्नेह में नहाते समय
सुकून तू मेरे पास होता है।
मेहनत की कमाई के समय
थोड़ा सा भलाई के समय
सुकून तू मेरे पास होता है।
बहुत सुन्दर रचना है, अदभुत
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह, बहुत सही लिखा है सर
बहुत सारा धन्यवाद
अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद
बहुत खूब।
बहुत बहुत धन्यवाद
सुकून!!
तू मेरे पास कब होता है,
तुझे ही मालूम है,
या मुझे ही पता है,
यही तो तेरी अदा है,
जब मैं कर्तव्य पथ पर
रमा होता हूँ,
……………. जीवन की सच्चाइयों को परिलक्षित करती हुई कवि सतीश जी की एक उत्कृष्ट रचना… अति उत्तम लेखन