सुप्रभात

फिर हुआ नई सुबह का आगाज़ है
नया दिन नयी उम्मीदों का राज है
चहचहाते पंछियों की गूंजती आवाज़ है
सरसराती सुबह की ठंडी बयार है
उस पर पड़ती सावन की फुहार है
हर तरफ सुहावने मौसम का राज़ है
ये चमकती किरणे पुकारती हैं सबको
जागो उठो खुल कर मुस्कुराओ
स्वागत करो दोनों बाहें फैलाकर
तुम्हारे सामने खड़ा तुम्हारा आज है
सुप्रभात
©अनीता शर्मा
अभिव्यक्ति बस दिल से

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Responses

  1. “सरसराती सुबह की ठंडी बयार है” में आनुप्रासिक छटा विद्यमान है, नए प्रातः का आगाज होने पर जागने की प्रेरणा देते हुए प्राकृतिक सौंदर्य में सरोबार होने की प्रेरणा दी गयी है। वाह

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