सैनिक की अंतिम चाहत
मैं सैनिक हूं,
मैं देश को संभालता हूं,
हर रोज मृत्यु को मारता हूं,
मैं मौत से नहीं डरता हूं,
मौत को तो मुठ्ठी में लेकर चलता हूं,
परिवार की चिंता नहीं करता हूं,
परिवार देश के हवाले करता हूं,
अंतिम समय में भी स्वार्थ नहीं चाहता हूं,
बस एक ही ख्वाहिश ही ईश्वर से फरमाता हूं,
है ईश्वर कुछ ऐसा चमत्कार कर दो ,
मुझमें फिर से प्राणों को भर दो,
बस भारती के शत्रुओं को मस्तक विहीन कर दूं,
हिन्दुस्तान को शत्रुविहीन कर दूं,
फिर खुशी खुशी प्राणों को न्योछावर कर दूंगा,
अपने प्राण वतन के हवाले कर दूंगा।2।
बस मां तू दुखी मत होना,
देश की सेवा करना तो मेरा भाग्य है,
देश ही मेरे लिए सबसे बड़ा भगवान है,
मृत्यु के मारे क्या में मर जाऊंगा,
पुनर्जन्म पाकर फिर से तेरा बेटा बनकर आऊंगा,
कालखंड ये जीवन मृत्यु का सदा चलाऊंगा,
दोबारा से देश सेवा करने को जरूर जाऊंगा,
देश की रक्षा को ही अपनी नियति बनाऊंगा,
जरूरत पड़ी तो हर जनम में अपने प्राण वतन के हवाले कर जाऊंगा।।
✍️✍️मयंक व्यास✍️✍️
sunder the kavita.
सुन्दर अभिव्यक्ति
Sundar Kavita
देशभक्ति से परिपूर्ण सुंदर प्रस्तुति
धन्यवाद 🙏🙏
जय हिंद
जय हिन्द
बहुत अच्छा लिखा है आपने जय हिंद
बहुत सुंदर
👌✍✍
जय हिन्द बहुत सुंदर रचना