Categories: शेर-ओ-शायरी
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
” देश की आश “
देश की आश ^^^^^^^^^^^^^^^^ आशा है अब आज़ादी के मैं सपने देख सकूंगा, आशा है मै फिर से प्यारा भारत…
गुनहगार हो गया
सच बोलकर जहाँ में गुनहगार हो गया, लोगों से दूर आज मैं लाचार हो गया। जो चापलूस थे सिपेसालार बन गए, मोहताज़ इक अनाज़ से…
आंगन
बचपन का आंगन कहीं छूट गया । पुराना मकान था जो टूट गया ।। ऊँची इमारतें खड़ी वहाँ, सैकड़ों परिवारों का बसेरा है । चारदीवारी…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
वाह
थैंक्स
वाह
🙏🙏
Nice
थैंक्स
👌👌