“सौभाग्यवती भवः”

हाथों में मेंहदी खूब रचाई है
लाल चूनर से सिर की शोभा बढ़ाई है

शादी का लहंगा-चूड़ी पहनकर
माथे पर सिंदूर की लम्बी रेखा बनाई है

चमकती बिंदी और लाली से
घर में फैली है रौनक

बनी हूँ आज फिर से दुल्हन
करवाचौथ की बेला जो आई है

मैं सजी हूँ अपने सुहाग की
दीर्घायु के लिए

गौरी माँ के आशीर्वाद से
अटल सुहाग की बेंदी सजाई है

सास-ससुर के चरणस्पर्श करके
“सौभाग्यवती भव” का प्रज्ञा
आज आशीर्वाद ले आई है..

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