Categories: शेर-ओ-शायरी
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अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है ।
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
प्रेम
मेरी लेखनी में अभी जंग लगा नहीं। प्रेम के सिवा दूजा कोई रंग चढ़ा नहीं। प्रेम में लिखता हूँ, प्रेम हेतु लिखता हूँ। प्रेम पर…
हर बार गिरे
हर बार गिरे ,फिर सम्भले सिलसिला ये बरक़रार रखते है हम वो गुलिस्ता है जो फूलों से नहीं काटों से प्यार रखते है तिरी…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
प्रेम करुणा, प्रेम ममता
प्रेम क्या है क्या बताएं पूछते हो तो सुनो, प्रेम जीवन प्रेम माया प्रेम सब कुछ है सुनो। प्रेम करुणा, प्रेम ममता प्रेम चाहत है…
क्या बात है, दिल में भी रहते हैं और दिल भी दुखाते हैं
ये तो नाइंसाफी है भई ।
हाहाहा..
यही जमाना है
बहुत सुंदर लाजवाब, कवि प्रज्ञा जी द्वारा प्रेम से जुड़े कोमल यथार्य का अति सुंदर चित्रण
धन्यवाद आपका
अति, अतिसुंदर
धन्यवाद
✍👌🙂
धन्यवाद