हर वक्त साथ में है

सोते समय उस पर नजर
जगते समय उस पर नजर
दिन भर है साथ में वह
हर वक्त है उस पर नजर।
यदि वो न हो तो सब कुछ
लगता मुझे अधूरा,
वो ही तो है जो मुझको
रखता है व्यस्त पूरा।
हर वक्त साथ में है
हर वक़्त हाथ में है
एक पल नहीं है दूरी
वो बन गया जरूरी।
कोविड़ में दोस्तों से
मिलना नहीं हुआ तो
उसने कमी की पूरी
खुद दोस्त बन गया वो।
सोचो बताओ इतना
नजदीक कौन मेरा
ये प्रियसी नहीं बस
स्मार्टफोन मेरा।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. बहुत सुंदर कविता है सतीश जी ,हम तो आधी कविता में ही पहेली बूझ लिए थे ।आपने बिल्कुल सत्य लिखा है , लॉक डाउन केसमय में सावन और फोन ने बहुत अच्छा साथ निभाया है ।सबसे अच्छा दोस्त यही तो है आजकल , स्मार्ट फोन ।बहुत यथार्थ चित्रण और एकदम सही और गजब प्रस्तुति ।

    1. इस अत्यंत बेहतरीन समीक्षा और कविता का सुंदर विश्लेषण करने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी। कवित्त्व का उत्साहवर्धन करने हेतु अभिवादन करता हूँ।

+

New Report

Close