हर वक्त साथ में है
सोते समय उस पर नजर
जगते समय उस पर नजर
दिन भर है साथ में वह
हर वक्त है उस पर नजर।
यदि वो न हो तो सब कुछ
लगता मुझे अधूरा,
वो ही तो है जो मुझको
रखता है व्यस्त पूरा।
हर वक्त साथ में है
हर वक़्त हाथ में है
एक पल नहीं है दूरी
वो बन गया जरूरी।
कोविड़ में दोस्तों से
मिलना नहीं हुआ तो
उसने कमी की पूरी
खुद दोस्त बन गया वो।
सोचो बताओ इतना
नजदीक कौन मेरा
ये प्रियसी नहीं बस
स्मार्टफोन मेरा।
अति सुन्दर आपकि रचना
और फोन भी
बहुत बहुत धन्यवाद ऋषि जी, आपकी टिप्पणी आई प्रसन्नता हुई।
बहुत सुंदर कविता है सतीश जी ,हम तो आधी कविता में ही पहेली बूझ लिए थे ।आपने बिल्कुल सत्य लिखा है , लॉक डाउन केसमय में सावन और फोन ने बहुत अच्छा साथ निभाया है ।सबसे अच्छा दोस्त यही तो है आजकल , स्मार्ट फोन ।बहुत यथार्थ चित्रण और एकदम सही और गजब प्रस्तुति ।
इस अत्यंत बेहतरीन समीक्षा और कविता का सुंदर विश्लेषण करने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी। कवित्त्व का उत्साहवर्धन करने हेतु अभिवादन करता हूँ।
वाह वाह क्या बात है
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
यथार्थ चित्रण किया है आपने ।