विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है
दस अक्टूबर है आज
जीवन के लिए है खास
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है आज
थोड़ा जगाना होगा समाज।
जिस तरह जरूरी है तन का
स्वस्थ और सुडौल रहना,
ठीक उसी तरह तरह जरूरी है
मन में सकारात्मक सोच रखना।
उदासी को, निराशा को
दूर भगा देना है,
गुस्सा, चिड़चिड़ापन और
खालीपन मिटाना है।
जरा सी बात पर चिंता
जुंनूँ उल्टा, अनिद्रा,
भ्रम करना, और डरना
आत्महंता सोच रखना,
इन सभी पर वक्त पर है
सावधानी अब जरूरी
मानसिक पीड़ाएँ हैं ये
इनको मिटाना है जरूरी।
यदि कभी घर और बाहर
आपको पीड़ित दिखे तो
सावधानी से उसे
पहचानना है अब जरूरी।
अवसाद से रखनी है दूरी
आज सबने आप हमने,
स्वस्थ जीवन के लिए है
स्वस्थ मन बेहद जरूरी।
बहुत खूब सुंदर भाव पूर्ण रचना
बहुत बहुत धन्यवाद जी
एकदम सत्य और जीवन को नवीन चेतना देने वाली कविता
सादर धन्यवाद प्रज्ञा जी
बहुत सुंदर रचना 👌👌
धन्यवाद हरीश जी
कवि सतीश जी ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर बेहद शानदार कविता की रचना की है ।आजकल के माहौल में अवसाद, मानसिक पीड़ा जैसी बीमारियों ने सिर उठाया है ।हमारा कर्त्तव्य बनता है कि स्वस्थ जीवन अपनाएं और ,औरों को भी यही संदेश दें ।…..बहुत सुंदर संदेश देती हुई बेहद खूबसूरत रचना और उसकी शानदार प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी, आपके द्वारा की गई यह समीक्षा और व्याख्या निश्चय ही प्रभावशाली और प्रेरक है। सादर धन्यवाद।
बहुत सुन्दर