हर सको दर्द दूजे का

भीड़ के बीच में
ख्याल खुद का रखो,
हर सको दर्द दूजे का
नुस्खा रखो।
वेदना हो भले
दिल के भीतर भरी
मगर होंठ में आप
मुस्कां रखो।
यह न अहसास हो
दूसरे को कभी
आपका दिल
गमों से भरा है बहुत,
आपको देखकर
सबको ऊर्जा मिले,
आपको देखकर
नव प्रेरणा मिले।
दर्द आने न देना
नयन बूँद तक,
उसको भीतर सूखा दो
उड़ा दो कहीं,
जिन्दगी है गिने चार
दिन की यहाँ,
चार दिन को गँवाना
गमों में नहीं।
भीड़ के बीच में
ख्याल खुद का रखो,
हर सको दर्द दूजे का
नुस्खा रखो।

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Responses

  1. चार दिन को गँवाना
    गमों में नहीं।
    भीड़ के बीच में
    ख्याल खुद का रखो,
    हर सको दर्द दूजे का
    नुस्खा रखो।
    _______ कवि सतीश जी की अति उत्तम रचना लाजवाब अभिव्यक्ति उम्दा लेखन

  2. भीड़ के बीच में खुद का ख्याल रखो हर सको दर्द दूजे का नुस्खा रखो। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सतीश जी 🙏🏻🙏🏻

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