होली पर ना पीना हाला

होली पर ना पीना हाला,
हानि देता है बदन को
इसका एक छोटा सा प्याला
गुजिया खाओ लड्डू खाओ,
रंग लगाकर मौज उड़ाओ
अभी जवाॅं हो अभी युवा हो,
अभी तो देगी यह अभिराम
धीरे-धीरे तन को पीती,
जला देती है ऐसी ज्वाला
व्याधि दे जाती है कोई
जिसका कोई तोड़ नहीं है,
कर दे मुस्तकबिल को काला l
मित्रों का ना करो बहाना
टालो जितना जाए टाला l
हाला से तुम दूर ही रहना,
पड़ ना जाए इससे पाला॥
_____✍गीता

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Responses

  1. होली पर ना पीना हाला,
    हानि देता है बदन को
    इसका एक छोटा सा प्याला
    गुजिया खाओ लड्डू खाओ,।
    ——– बहुत उत्तम सृजन। बहुत सुन्दर कविता। लेखनी की निरंतरता को सैल्यूट।

    1. उत्साह वर्धन करने के लिए और प्रेरक समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी अभिवादन सर

  2. होली पर ना पीना हाला,
    हानि देता है बदन को
    इसका एक छोटा सा प्याला
    गुजिया खाओ लड्डू खाओ,
    रंग लगाकर मौज उड़ाओ
    ___सुंदर संदेश देती हुई रचना

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