गुरूर है
देर मिलता है, पर मिलता जरूर है।
किस्मत पे अपने, इतना तो गुरूर है।
खामोशी मेरी, लगने लगी कमजोरी,
रहम दिल हूं, बस इतना कुसूर है।
छत है सर, फिर भी हूं बेघर,
घर जिनके हैं, वो कितने मगरूर हैं।
हैं सब, पर कोई भी नहीं अब,
सोच है मेरी, या मेरा फितूर है।
हर हाल में, करुं ना मलाल मैं,
नफरत से तो ‘देव’ होते सभी दूर हैं।
देवेश साखरे ‘देव’
वाह
धन्यवाद
Good one
Thanks
Wahh
धन्यवाद
Nice
Thanks
Bahoot khub
Thanks
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति
धन्यवाद
Nice
Thanks
Good
बहुत खूब