मेरा हृदय
बीती रात जब मैं यादों
के आगोश में जाने लगी
कल्पना के स्वर्ग में
तुमको जरा पाने लगी
तभी मेरा ह्रदय
वेदना की आग में तपने लगा
और यों कहने लगा
‘तुम भी क्या अनोखी चीज़ हो’
ना समझ पा रहा हूं मैं
खुद उलझाने अपनी बना
फँसती हो तुम, रोती हो तुम
और फिर बेचैन हो
रात भर जगती हो तुम
तुमसे मेरा रिश्ता कितना
पुराना है जानती हो?
मैंने तुमको कितनी दफा
यूं ही पल-पल मरते देखा है
और लाखों बार फिर
खुद में ही हंसते देखा है
ना जाने कितनी बार
देखा रतजगे करते हुए
कौमुदी में बैठ सपनों
को यूंही सँजोते हुए
सुन्दर स्वाभविक रचना
Thanx
🙏🙏🙏🙏
Nice
Thanks
सुन्दर रचना
थैंक यू
Best
थैंक यू
बहुत सुन्दर।
धन्यवाद आदरणीय
दिल से रचना।
Hummmmm
Thanks
Nice lines
आभार आपका
दिल से दिल तक
Thanks
भाव पूर्ण रचना
Thanks
सुन्दर
Thanks