Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
रितुराज के आवन पे
रितुराज वसंत के आवन पे बसुधा ने कण कण सजा लिया है । शबनम की बारिश से धरणीधर और तृण तरुवर सब नहा लिया है।।…
सचमुच ये रितुराज है
सचमुच ये रितुराज है। तेरे स्वागत में प्रकृति ने वसुधा के कण कण को सजाया। बाग – बगीचा बहती सरिता खुशबू से तरुवर नहलाया।। कोमल…
नवल
नवल सृजन हो,नवल सृष्टि हो उर अंतर में,नवल बृष्टि हो नवल दिशा हो नवल दृष्टि हो -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
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