Categories: शेर-ओ-शायरी
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तनहा-तनहा सा है, बिखरा-बिखरा सा
ये गुलाब थोड़ा तनहा-तनहा सा है ये गुलाब थोड़ा बिखरा-बिखरा सा है छूटा है ये शायद किसी के हाथों से ये गुलाब थोड़ा सहमा-सहमा…
बहते पवन को किसने देखा?
न तुमने देखे न मैंने देखा। बहते पवन को किसने देखा? जुल्फ चुनरिया उड़ते जब जब। बहती हवाएँ समझो तब तब।। बादलों को जो चलते…
कटु सत्य
दिल में कुछ ,जबान पर कुछ नजर आता है अपनों में भी ,शत्रु नजर आता है कुछ पलों की मुलाकात से ,पहचान नहीं सकते किसी…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
गफलत
जो भी जी में आए फेकिए जनाब तवा पे अपनी रोटी सेकिए जनाब गाय के नाम पे इंसानों को बाँटिए फिर तमाशा गौर से देखिए…
Nyc
Nice
वाह
👏👏
Good