Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: संपादक की पसंद
Related Articles
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
नयन अश्कों से भिगोता रहा हूं मैं जिन्दगी भर
नयन अश्कों से भिगोता रहा हूं मैं जिन्दगी भर । गजल उनको ही सुनाता रहा हूं मैं जिन्दगी भर । दरख्ते उम्मीद अब है कहां…
महफ़िल-ए-चाय
मैं मान लेती हूँ, की तुम्हे मेरी याद नहीं आती , पर वो महफ़िल-ए-चाय तो याद आती होगी ! वो शाम की रवानगी , वो…
बचपन की याद
जब भी बैठता हूं किसी सिरहाने से सटकर, बहुत सी यादें याद आ जाती हैं… इस आधुनिकता के खेल में भी मुझे, अपने बचपन की याद…
Nice
वाह
Good