वह पहले जैसी बात नहीं
क्यूँ आज सूरज हो गया निस्तेज
वह पहले जैसी बात नहीं।
हवा भी चल रही है मद्धम-मद्धम
उसमें भी पहले जैसी बात नहीं।
न जाने क्यों बेरुखी कर रहे हैं
सब मौसम के साथ
कोई भी तो नहीं दिखाई देता।
हर गली कह रही है
वह पहले जैसी बात नहीं।
पहले तो यूं भीड़ उमड़ी रहती थी।
हर गली नुक्कड़ पर लोगों की
जमात लगी रहती थी।
ऊपर वाले के एक फैसला से
इतना आ गया फासला!
रिश्तों में भी अब
पहले जैसी बात नहीं।
कितनी मायूसी छाई है चारों तरफ
मेरा दिल कहता है यह कैसा मंजर आया है?
जिसमें पहले जैसी बात नहीं।
तुम भी तो कितना
बदल गए हो वक्त के साथ
तुम्हारे व्यवहार से भी तो जाहिर होता है।
तुम में भी वह पहले जैसी बात नहीं।
अच्छा प्रयास
थैंक्स फॉर कमेंट्स
सुंदर
🙏
bahut khoob
धन्यवाद
सुंदर भाव
प्रकृति का मनोहर चित्रण किया गया है नायिका ने नायक के व्यवहार में आए गए बदलाव को बहुत ही सहजता से सरल सरल भाषा में प्रकट किया है
बहुत सुंदर
थैंक्स
धन्यवाद