पिताजी

अपने सुख दुःख की पोटली को
रख किनारे में
हमारे सुख दुःख को
अपना जीवन बनाया
पिताजी ने ही हमे सब कुछ सिखाया

कल तक चलना नहीं आता था
चलना आपने सिखाया
आज ज़िन्दगी की दौड़ में
दौड़ रहा हूँ
संभलना आपने सिखाया
पिताजी ने हमे सब कुछ सिखाया

कभी प्यार से
कभी डांट के
हमे सही गलत का मतलब बताया

खाकर ठोकर
रह ना जाये हमारा दिल कमजोर
इस दिल मजबूत बनाया
पिताजी ने हमे सब कुछ सिखाया

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Responses

  1. मां पर तो हर किसी की कलम चल जाती है पर पिता पर बहुत ही कम लोग लिखते हैं आपने पिता पर ले कर के पिता के नहीं है को दर्शाया है बहुत ही अच्छा प्रयास

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