Categories: ग़ज़ल
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
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लाइफ इन सिटी
थकी – थकी – सी है यह बेज़ार ज़िंदगी अब इसे थोड़े आराम की ज़रूरत है पसीने – पसीने हो गई है जल – जल…
nice
Thanks
nice
Thanks
Nice
Thanks
पंक्तिबद्धता नहीं बनी
बहुत खूब
achchha prayas
यही है अमित जी और बहुत संकटकालीन स्थिति है