कुमाऊँनी : पर्वतीय कविता

झम झमा बरखा लागी
ऐ गौ छ चुंमास
डाना काना छाई रौ छ
हरिया प्रकाश।
त्वै बिना यो मेरो मन
नै लिनो सुपास,
घर ऐ जा मेरा सुवा
लागिगौ उदास।
पाणि का एक्केक ट्वॉप्पा

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Responses

  1. छूट गए अंश —-
    पाणि का एक्केक त्वाप्पा
    कुनेंयीं तू ऐ जा
    विदेश बै मेरा सुआ
    चुंमास में ऐ जा।
    पड़ौसै का परु मौ ले
    लिंटर खिति हा छ
    हामरा पाथर रडया
    च्यून नौ छ अगास।
    भैर लगै बारिश छ
    भीतर बारिश
    आंखां में लै बारिश छ
    सब ठौर बारिश।

  2. ग्रुप में पहली कुमाउनी कविता प्रस्तुत करने पर हार्दिक धन्यवाद जी

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