Categories: मुक्तक
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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धरा दुल्हन सी सज गयी है
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
nice
Nice
आपके काव्य में ध्वनिसूचक शब्दों की पहल से कविता का नाद सौंदर्य में इज़ाफ़ा हुआ है, आपकी कविता पढ कर निराला जी की कविता ‘झर झर झर निर्झर गिरि सर में’ याद आ गई
nice
पत्तियाँ।
सुन्दर प्रयास
बहुत खूब, कम कम लिखो, लेकिन जब लिखो, अति सुंदर लिखो, यही होना चाहिए
Nice