Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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” बड़ी फ़ुरसत में मिला मुझ से ख़ुदा है…”
मेरी सांसो में तू महकता हैँ क़ायनात – ए – ग़ैरों में तू ही अपना लगता हैँ 1 . होंठों की ख़ामोशी समझा…
वाह क्या बात है
आवरण की आभा 👌👌👌
सादर धन्यवाद
बहुत खूब
सादर आभार
Sunder
धन्यवाद जी
बहुत सुंदर…
बहुत बहुत आभार
बहुत ही शानदार
Thank you
waah
Dhanyawad