Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
कविता : हौसला
हौसला निशीथ में व्योम का विस्तार है हौसला विहान में बाल रवि का भास है नाउम्मीदी में है हौसला खिलती हुई एक कली हौसला ही…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
Very nice, great
बहुत बहुत धन्यवाद जी
सुन्दर अभिव्यक्ति ।
हौसलों की पंख से भी उङान भरा जाता है
डगर हो जितनी भी कठिन मन्जिल पर नज़र ठहर जाता है
इतनी सुंदर समीक्षा के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी इस सुंदर टिप्पणी से नई ऊर्जा मिली है। धन्यवाद
Sunder
सादर धन्यवाद जी
बहुत ही प्रेरणादायक पंक्तियां,
हिम्मत ना हार,जीत पा ,कदम बढ़ा ।वाह,अति सुंदर
बहुत सारा आभार, इस सुंदर समीक्षा ने उत्साहित किया, धन्यवाद
ग्रेट
Thanks ji